- वह अभिमान बड़ा उत्तम है बढ़ कर जाये स्वाभिमान तक
- .आगे को यदि कदम बढ़ाये तो रावन है राम बन तक
Friday, October 8, 2010
Saturday, October 2, 2010
आयी किरण पाती पिया
आयी किरण पाती पिया की
बज उठी सांकल हिया की |
भावना ने पंख तोले
दृष्टि ने उठ द्वार खोले,
सामने देखी क्षितिज पर,
लाल पगड़ी डाकिया की |
बिछौने के शूल सारे,
खिल उठे बन फूल सारे,
रात भर की थकी हरी,
सो गयी बाती दिया की |
आस ने आँगन बुहारा
आस्था बोली दुबारा
मैं न कहती थी वो एक दिन
पीर बूझेंगे जिया की
;;;;;;;;kjoikyogendra
Tuesday, May 4, 2010
देश
देश मेँ ,जब कहीँ भी ,
एक गोली भी दगी है ।
सच बताता हूँ ,
कलेजे मेँ हमारे ही लगी है ।
किन अभावोँ ने ,
मुझे जकड़ा नहीँ ।
किस विषम गति ने ,
मुझे पकड़ा नहीँ ।
किन्तु जाने कौन सी ,
निर्देश दीक्षा मेँ सिमटकर ,
एक चादर तानकर ,
होते हुए भी खो गया हूँ ।
और अब बिल्कुल-
जमूरा हो गया हूँ ।
घीँच काटी जा रही है .
आज मेरी आत्मा ,
मुझसे उचाटी जा रही है ।
किन्तु-यह जो सत्य है!
उसको समझ लो ।
और यह नाटक न समझो
लोग मर जायेँ हजारोँ,
या कि , ईश्वर!
मैँ ! कभी मरता नहीँ हूँ ।
अरे ! भूखण्ड हूँ मैँ
इमारत की तरह गिरता नहीँहूँ।
सोँचा भला मैँ कौन हूँ ?
बोलो अरे क्योँ मौन हो ?
तुम कौन हो ? तुम कौन हो ?
Saturday, April 24, 2010
दायरा
प्रधान से लेकर-
प्रधानमन्त्री तक।
चपरासी से लेकर-
राष्ट्पति तक।
सबका अपना-अपना
दायरा है।
मेरे प्रिय! मेरे देश!
वह समय कब आयेगा?
जब तेरा भी एक-
दायरा कायम हो जायेगा।
प्रधानमन्त्री तक।
चपरासी से लेकर-
राष्ट्पति तक।
सबका अपना-अपना
दायरा है।
मेरे प्रिय! मेरे देश!
वह समय कब आयेगा?
जब तेरा भी एक-
दायरा कायम हो जायेगा।
Sunday, March 28, 2010
दुनिया
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