Saturday, October 2, 2010

आयी किरण पाती पिया

आयी किरण पाती पिया की
बज उठी सांकल हिया की |


भावना ने पंख तोले
दृष्टि ने उठ द्वार खोले,
सामने देखी क्षितिज पर,
लाल पगड़ी डाकिया की |

बिछौने के शूल सारे,
खिल उठे बन फूल सारे,
रात भर की थकी हरी,
सो गयी बाती दिया की |

आस ने आँगन बुहारा
आस्था बोली दुबारा


मैं न कहती थी वो एक दिन
पीर बूझेंगे जिया की
;;;;;;;;kjoikyogendra

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