आयी किरण पाती पिया की
बज उठी सांकल हिया की |
भावना ने पंख तोले
दृष्टि ने उठ द्वार खोले,
सामने देखी क्षितिज पर,
लाल पगड़ी डाकिया की |
बिछौने के शूल सारे,
खिल उठे बन फूल सारे,
रात भर की थकी हरी,
सो गयी बाती दिया की |
आस ने आँगन बुहारा
आस्था बोली दुबारा
मैं न कहती थी वो एक दिन
पीर बूझेंगे जिया की
;;;;;;;;kjoikyogendra