अच्छी कविता ।
Gagar me sagar.
एक साथ कई ज्वलंतप्रश्न उठाती रचनाबधाई
बहुत खूब ....!!
wah kya baat kahi .
बहुत अच्छी, सशक्त रचना है ये!याद रह जाती है।
आदरणीय झनकार दादा जी वास्तव में इस कालजयी रचना के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं फिर भी आज के पर्यावरण विदों और वैज्ञनिकोंको नया अविष्कार करने से पहले इन पंक्तियों को अवश्य पढना चाहिए चिंतन परक रचना के लिए साधुवाद
अच्छी कविता ।
ReplyDeleteGagar me sagar.
ReplyDeleteएक साथ कई ज्वलंत
ReplyDeleteप्रश्न उठाती रचना
बधाई
बहुत खूब ....!!
ReplyDeletewah kya baat kahi .
ReplyDeleteबहुत अच्छी, सशक्त रचना है ये!
ReplyDeleteयाद रह जाती है।
आदरणीय झनकार दादा जी वास्तव में इस कालजयी रचना के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं फिर भी आज के पर्यावरण विदों और वैज्ञनिकों
ReplyDeleteको नया अविष्कार करने से पहले इन पंक्तियों को अवश्य पढना चाहिए चिंतन परक रचना के लिए साधुवाद