आदरणीय झनकार जी आपकी पंक्तियाँ मनुष्यता को नए सिरे से परिभाषित करती हैं बहुत अच्छा साधुवाद !
मानव स्वभाव कासच बखानती रचना
बहुत बढ़िया। ये चित्र कहाँ से लाते हैं आप?भाव और शब्द तो खैर हैं ही मौलिक और उत्तम।
आदरणीय झनकार जी आपकी पंक्तियाँ मनुष्यता को नए सिरे से परिभाषित करती हैं बहुत अच्छा साधुवाद !
ReplyDeleteमानव स्वभाव का
ReplyDeleteसच बखानती रचना
बहुत बढ़िया। ये चित्र कहाँ से लाते हैं आप?
ReplyDeleteभाव और शब्द तो खैर हैं ही मौलिक और उत्तम।