Sunday, March 28, 2010

दुनिया


आकाश मैं हाथ उठाए
पाँव से पाताल दबाए
विकास की सम्पूर्ण भीड़
विनाश के द्वार पर खड़ी है
सारा जग है , लेकिन
किसे पड़ी है


Sunday, March 21, 2010



आदमी

आदमी ! जीवन भर शेर की तरह गुर्राया
कभी, सियार की तरह हुवाया
लेकिन, जब खुद चोट खाई
तो, आदमी आदमी की तरह चिल्लाया